पलाश: आयुर्वेदिक चिकित्सा में पलाश के अद्भुत लाभ और उपयोग


पलाश (Butea monosperma), जिसे “ढाक” या “टेसू” के नाम से भी जाना जाता है, एक औषधीय वृक्ष है जिसे आयुर्वेद में बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। पलाश के फूलों, पत्तों, बीजों, और छाल का उपयोग विभिन्न बीमारियों के उपचार में किया जाता है। इसके फूल खासतौर पर अपनी खूबसूरती के लिए जाने जाते हैं […]
शिग्रू (सहजन): आयुर्वेदिक चिकित्सा में शिग्रू के स्वास्थ्य लाभ और उपयोग


शिग्रू, जिसे आमतौर पर सहजन (Moringa oleifera) के नाम से जाना जाता है, एक अत्यधिक पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर पेड़ है। इसके हर हिस्से जैसे पत्ते, बीज, फूल, और जड़ का उपयोग विभिन्न बीमारियों के उपचार में किया जाता है। शिग्रू को “चमत्कारी पेड़” भी कहा जाता है, क्योंकि यह पोषण और चिकित्सा […]
पित्त दोष: शरीर का अग्नि तत्व


आयुर्वेद में पित्त दोष का संबंध शरीर की गर्मी और ऊर्जा से होता है। पित्त दोष शरीर के पाचन तंत्र, तापमान नियंत्रण, और चयापचय को नियंत्रित करता है। यह अग्नि तत्व से बना होता है और जब यह संतुलित रहता है, तो शरीर में गर्मी, ऊर्जा और पाचन सही तरीके से काम करते हैं। पित्त […]
कफ दोष: शरीर की स्थिरता और मजबूती


कफ दोष आयुर्वेद का तीसरा प्रमुख दोष है, जो शरीर की स्थिरता, मजबूती और पोषण के लिए जिम्मेदार होता है। कफ दोष का संबंध पानी और पृथ्वी तत्वों से होता है, जो शरीर को स्थिर और स्थायित्व प्रदान करता है। यह शरीर के ऊतकों और तरल पदार्थों के निर्माण में सहायक होता है। कफ दोष […]
आयुर्वेद का वैश्विक प्रसार: भारत से विश्व तक


आयुर्वेद भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, लेकिन आज यह विश्वभर में अपने चमत्कारी फायदों के कारण प्रसिद्ध हो चुकी है। आयुर्वेद का मूल उद्देश्य शरीर, मन, और आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखना है, और यही कारण है कि यह पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रहा है। आयुर्वेद का वैश्विक प्रसार: निष्कर्ष आयुर्वेद आज […]
आयुर्वेद: प्राचीन चिकित्सा प्रणाली की आधुनिक प्रासंगिकता


आयुर्वेद, भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली, जो 5000 साल पुरानी मानी जाती है, आज भी स्वस्थ जीवनशैली और विभिन्न बीमारियों के प्राकृतिक उपचार के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है। “आयुर्वेद” शब्द का अर्थ “जीवन का विज्ञान” है, और यह शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर आधारित है। आइए जानते हैं आयुर्वेद के सिद्धांत, उपचार और […]
वात दोष: शरीर का नियंत्रण केंद्र


आयुर्वेद के अनुसार, वात शरीर के तीन प्रमुख दोषों (वात, पित्त, कफ) में से एक है। वात दोष का संबंध हवा और आकाश तत्वों से होता है और यह शरीर की सभी गतिशील गतिविधियों को नियंत्रित करता है। वात दोष को सही संतुलन में रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि इसका असंतुलन शरीर में विभिन्न […]
पंचकर्म: शरीर को शुद्ध करने की आयुर्वेदिक विधि


आयुर्वेद में शरीर को शुद्ध करने के लिए पंचकर्म एक प्रमुख उपचार विधि है। इसका मतलब है पांच प्रकार की प्रक्रियाएँ, जो शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करके उसे स्वस्थ बनाती हैं। पंचकर्म का मुख्य उद्देश्य शरीर से उन दोषों को निकालना है जो हमारी गलत जीवनशैली, खराब खानपान और मानसिक तनाव के कारण […]
आयुर्वेदिक आहार: स्वस्थ जीवन की कुंजी


आयुर्वेद के अनुसार, आहार शरीर, मन, और आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आयुर्वेद में आहार को बहुत महत्व दिया जाता है, क्योंकि यह न केवल शरीर को पोषण प्रदान करता है, बल्कि शरीर के दोषों को भी संतुलित करता है। आयुर्वेदिक आहार के प्रमुख सिद्धांत: त्रिदोष के अनुसार आहार: […]
बकुल: आयुर्वेदिक चिकित्सा में बकुल के अद्भुत फायदे और उपयोग


बकुल (Mimusops elengi), जिसे आमतौर पर “Spanish Cherry” या “Bullet Wood” के नाम से भी जाना जाता है, एक औषधीय पौधा है जो अपने कई स्वास्थ्य लाभों के लिए प्रसिद्ध है। बकुल के पेड़ के विभिन्न हिस्सों का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है, विशेष रूप से दांतों और मसूड़ों की देखभाल में। इसके […]