Rishiamritbooti

|श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः || , | हिता हितं सुखं दुखम आयुस्तस्य हिता हितं। मानं च तच्च यात्रोक्तम आयुर्वेद सः उच्यते ||

RISHI AMRTI BOOTI SEWA SANSTHAN, BHARAT

गुरु जी डॉ. गोविंद, आयुर्वेदाचार्य

Guruji Dr. Govind, M.D.
Herbs Specialist & Spiritual Yoga Guru

जड़ी-बूटी विशेषज्ञ एवं आध्यात्मिक योग गुरु

आयुर्वेदिक आहार: स्वस्थ जीवन की कुंजी

आयुर्वेदिक आहार

आयुर्वेद के अनुसार, आहार शरीर, मन, और आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आयुर्वेद में आहार को बहुत महत्व दिया जाता है, क्योंकि यह न केवल शरीर को पोषण प्रदान करता है, बल्कि शरीर के दोषों को भी संतुलित करता है।

आयुर्वेदिक आहार के प्रमुख सिद्धांत:

  1. त्रिदोष के अनुसार आहार: आयुर्वेद में कहा गया है कि आहार को व्यक्ति के दोष (वात, पित्त, कफ) के अनुसार निर्धारित करना चाहिए। प्रत्येक दोष के अनुसार भोजन का प्रभाव शरीर पर अलग-अलग होता है। उदाहरण के लिए:
    • वात दोष के लिए गर्म और चिकना भोजन उपयुक्त होता है।
    • पित्त दोष के लिए ठंडे और हल्के भोजन की सलाह दी जाती है।
    • कफ दोष के लिए हल्का और गरम भोजन बेहतर होता है।
  2. मौसमी भोजन: आयुर्वेद में मौसम के अनुसार आहार को बदलने की सलाह दी जाती है। गर्मियों में ठंडे और ताजगी देने वाले भोजन को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि सर्दियों में गर्म और पोषण युक्त भोजन खाने की सलाह दी जाती है।
  3. सात्विक भोजन: सात्विक भोजन शरीर को शुद्ध और शांत बनाए रखता है। इसमें ताजे फल, सब्जियाँ, अनाज, और हल्के मसाले शामिल होते हैं। यह शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने में सहायक होता है।

आयुर्वेदिक आहार के फायदे:

  1. पाचन तंत्र में सुधार: आयुर्वेदिक आहार पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है, जिससे भोजन आसानी से पचता है और शरीर में सही पोषण पहुंचता है।
  2. ऊर्जा का संतुलन: यह आहार शरीर को स्थिर और ऊर्जावान बनाए रखता है। इससे थकावट कम होती है और शरीर में उत्साह बना रहता है।
  3. रोग प्रतिरोधक क्षमता: आयुर्वेदिक आहार शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे आप बीमारियों से दूर रहते हैं।

निष्कर्ष

आयुर्वेदिक आहार केवल खाने के तरीके को नहीं बल्कि पूरे जीवनशैली को सुधारने का एक माध्यम है। इसका पालन करके आप अपने शरीर को संतुलित और स्वस्थ बनाए रख सकते हैं।